ItihaasakGurudwaras.com A Journey To Historical Gurudwara Sahibs

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गुरुद्वारा श्री गुरूसर साहिब गांव सुधार जिला लुधियाना में स्थित है। श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी दारोली भाई की वाया मैडोक, लोपो और सिधवा से यहां आए। गुरू साहिब यहाँ ढाब (जलाशय) के पास रुक गये। गुरू साहिब के आने की खबर पूरे गाँव में फैल गई । गुरू साहिब की झलक पाने के लिए लोग आने लगे। भाई जवंद जिन्हें गांव में भाई प्रेमा जी के नाम से भी जाना जाता था, गुरू साहिब के दर्शन के लिए आए । दिन के समय में कीर्तन और धार्मिक चर्चा हुआ करती थी और शाम को खेल प्रतियोगिता होती थी। एक बार जब गुरू साहिब शिकार के लिए रवाना हुए तो भाई प्रेमा जी ने गुरू साहिब के घोड़े की लगाम पकड़ कर आगे आगे चलना शुरू कर दिया। भाई प्रेमा जी नंगे पांव दौड़ते हुए घोड़े को साफ़ मार्ग पर चलाते रहे और वे खुद घास और कांटों पर चलते रहे। कुछ देर चलने के दौरान उनका पैर जख्मी हो गये और काफी खून बह गया। गुरू साहिब ने उन्हें अपने जूते पहनने के लिए दिए लेकिन भाई साहब ने उन्हें पहन्ने के बजाय सिर पर रख लिया। और इसके साथ ही भाई प्रेमा जी फिर से चलने लगे। जब गुरू साहिब ने यह देखा, तो उन्होंने भाई साहब से पूछा कि उन्होंने पहनने के लिए जूते दिए हैं। भाई प्रेमा जी ने उत्तर दिया, जिस पैर पर पूरी दुनिया सिर झुकाती है, उन पैरों से पहने हुए जूते पूजा के लायक हैं। गुरू साहिब ने भाई साहब को प्यार से आशीर्वाद दिया। गुरू साहिब का जोड़ा साहिब आज भी गांव सुधार में भाई प्रेमा के घर में संगत के लिए संरक्षित है।

भाई भाखत मल, भाई तारा चंद जी और भाई दयाल चंद जी संगत के साथ काबुल से गुरू साहिब के द्र्शनों के लिए यहां पहुंचे। करोरी मल व्यापारी गुरू साहिब के लिए पेशकश के रूप में बेहतर नस्ल के दो घोड़े लाया था। उनके रास्ते में, लाहौर में इन घोड़ों को मुगल सैनिकॊं ने छीन लिया और लाहौर के नवाब को सौंप दिया गया और इन्हें लाहौर के किले में एक अस्तबल में रखा गया। भाई करोरी मल को दो लाख रुपये के चेक (हुंडी) और पांच हजार रुपये नकद पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होना पड़ा। भाई करोरी मल जी ने हुंडियों को गुरू साहिब के सामने रखा और इसके पीछे की पूरी कहानी बताई। गुरू साहिब ने उन्हें सांत्वना दी और कहा कि आपकी भेंटा को स्वीकार किया जाता है। अब वह खुद मुगलों से अपना भेंटा वापस ले लेंगे।

स्थानीय लोगों ने बड़ी भक्ति के साथ काबुल से संगत की सेवा की। कुछ दिनों बाद, जब दीवान चल रहा था, तो गुरू साहिब ने संगत से पूछा, अगर कोई लाहौर से घोड़े वापस ला सकता है। भाई राजा प्रताप जी ने कहा कि केवल भाई बिधि चंद जी ही ऐसा कर सकते हैं। और भाई बिधि चंद जी को यह कार्य सौंपा गया। गुरू साहिब से आशीर्वाद लेने के बाद भाई बिधि चंद जी लाहौर के लिये रवाना हुये।

 
गुरुद्वारा साहिब, गुगल अर्थ के नकशे पर
 
 
  अधिक जानकारी :-
गुरुद्वारा श्री गुरूसर साहिब, सुधार


किसके साथ संबंधित है :-
  • श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी

  • पता :-
    गांव :- सुधार
    जिला :- लुधिआना
    राज्य :- पंजाब
    फ़ोन नंबर :-
     

     
     
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