ItihaasakGurudwaras.com A Journey To Historical Gurudwara Sahibs

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गुरुद्वारा श्री दमदमा साहिब, आगरा शहिर में मथुरा रोड पर सथित है । यह गुरुद्वारा साहिब, गुरुद्वारा श्री गुरु का ताल साहिब बहुत नज़दीक ही है । एक बार बादशाह जहाँगीर ने साहिब श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी को दिल्ली आने का बुलावा भेजा |गुरु साहिब बादशाह के बुलावे पर दिल्ली पहुंचे | बादशाह ने गुरु साहिब का स्वागत किया | धोलपुर के पास जंगल में एक बहुत भयानक खूनी शेर रहता था जो किसी से भी नहीं मरता था | गुरु साहिब बादशाह जहाँगीर को साथ लेकर उस शेर का शिकार करने के लिए गए |गुरु साहिब सभी साथीओं को पीछे छोड़ अकेले जंगल में आगे निकल गए जहां शेर रहता था | गुरु साहिब ने एक वार से शेर को मार दिया | यह देखकर बादशाह गुरु साहिब से बहुत प्रभावित हुआ और बेनती की के महाराज जी मुझे आगरा में एक जरुरी काम पड़ गया है, तो आप जी भी मेरे साथ आगरा चलो | गुरु साहिब बादशाह की बेनती पर आगरा पहुंचे और इस अस्थान पर तंबू लगाया, बादशाह ने भी इससे थोड़ी दुरी पर अपना तंबू लगाया | आगरा की संगतों को गुरु जी के आगमन का पता चला, तो संगत बड़ी गिनती में गुरु जी के दर्शनों को आने लगीं | वहीँ एक गुरु घर का प्रेमी घाही सिख रहता था ,उसको जब गुरु जी के आने का पता चला तो वह घास बेचकर और नरम -नरम घास की एक गठरी गुरु जी के घोड़ों के लिए साथ लेकर गुरूजी के दर्शनों के लिए आया और गलती से बादशाह के तंबू में पहुँच गया | उसने जो टक्का घास बेचकर लाया था और घास की गठरी बादशाह जहाँगीर के आगे रखकर हाथ जोडकर बिनती की के सच्चे पातशाह जी आप दीन दुनी के मालिक हो और मैं गरीब दास आप जी के चरणों में आया हूँ, दास को अपने चरणों का प्यार, नामदान बख्शो और इस आवागवन के चक्कर से बचा लो | बादशाह सिख का प्यार देखकर बहुत खुश हुआ और कहने लगा के मैं तो दुनिया का बादशाह जहाँगीर हूँ, मैं पैसा, जमीन तथा दुनियादारी के पदार्र्थ दे सकता हूँ, मुक्ति देने वाला सच्चे पातशाह का तंबू आगे है | यह सुनकर सिख ने उसी समय टक्का व् घास की गठरी उठा ली जो बादशाह के आगे माथा टेका था, यह देखकर बादशाह ने सिख को कहा के वह टक्का व् घास की गठरी वापिस न उठाए चाहे जागीरें व् खजाने ले ले, लेकिन सिख ने कहा की यह तो गुरु साहिब के लिए भेंट है जो के गुरु साहिब को ही भेंट की जाएगी और तंबू से बहार आ गया | जहां गुरु जी बिराजे थे आकर टक्का और घास की गठरी रखकर माथा टेक कर वो बिन्तियाँ करने लगा जो उसने बादशाह के सामने गुरु जी समझकर की थी | प्यार में आकर आँखों में जल भर आया और चरणों पे सर रखकर आंसुओं से गुरु जी के चरण धो दिए | गुरु जी ने अपने सेवक को ऊपर उठा लिया और थापना देकर बचन किया सिखा तुम निहाल, इस तरह उस सिख को चौरासी के चक्करों से मुक्त किया | यह पवित्र अस्थान जहां मीरी -पीरी बंदी छोड़ दाता साहिब श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी ने दम लिया था, जी का है |

तस्वीरें ली गईं :- २७ सपतंबर, २००९
 
गुरुद्वारा साहिब,गुगल अर्थ के नकशे पर
 
 
  अधिक जानकारी :-
गुरुदवारा श्री दमदमा साहिब

किसके साथ संबंधित है :-
  • श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी

  • पता :-
    आगरा दिल्ली रोड
    आगरा
    राज :- उतर प्रदेश
    फ़ोन नंबर:-
     

     
     
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